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Kalki Dr. Ambedkar और Shangri-La से Hirakund Dam का क्या रिलेशन है?

Kalki Dr. Ambedkar और Shangri-La से Hirakund Dam का क्या रिलेशन है?
Kalki Dr. Ambedkar और Shangri-La से Hirakund Dam का क्या रिलेशन है?

Kalki, Dr. Ambedkar और Shangri-La से Hirakund Dam का क्या रिलेशन है?

हीराकुड बांध ओडिशा की महानदी पर स्थित है और यह दुनिया के सबसे बड़े मिट्टी और पत्थर से बने बांधों में से एक है। इसका मुख्य डैम 4.8 किमी लंबा है और इसके दोनों सिरों पर बने तटबंधों को मिलाकर इसकी कुल लंबाई 25.8 किमी हो जाती है। बांध के ऊपर दो मीनारें हैं – गांधी मीनार और जवाहर मीनार, जो इसे एक विशेष पहचान देते हैं। इस बांध के चलते महानदी पर एक विशाल कृत्रिम झील भी बनी है, जो भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झीलों में से एक है।

हीराकुड बांध बाढ़ को नियंत्रित करने के साथ-साथ बिजली उत्पादन का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इससे लगभग 10 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होती है और लगभग 350 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है।

हीराकुड बांध की निर्माण की कहानी –

आजादी के बाद नेहरू सरकार का मुख्य ध्यान सिंचाई परियोजनाओं पर था ताकि देश जल्दी से आत्मनिर्भर बन सके। बड़े बांध जैसे भाखड़ा नांगल, नागार्जुन सागर, और हीराकुड इसी दृष्टि का परिणाम थे।

हीराकुड बांध का निर्माण 1948 में शुरू हुआ और 1957 में पूरा हुआ। इस बांध के निर्माण में भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर का भी बड़ा योगदान था 1945 में डॉ. अंबेडकर ने महानदी पर डैम बनाने का सुझाव दिया था। महान इंजीनियर डॉ. एम विश्वेश्वरैया की रिपोर्ट के आधार पर इस डैम का निर्माण किया गया। 

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हीराकुड और प्राचीन रहस्यमय लोक का संबंध – 

हीराकुड बांध ओडिशा के संबलपुर जिले में स्थित है। तिब्बती बौद्ध ग्रंथों में जिस संबल शहर का जिक्र है, उसके दावेदारों में संबलपुर का नाम भी लिया जाता है। संबलपुर के बारे में कई कहानियाँ प्रचलित हैं। एक कहानी के अनुसार, इस क्षेत्र में पहले हीरे पाए जाते थे, जो महानदी के साथ बहकर आते और हीराकुड के पास जमा हो जाते थे।

इतिहासकारों का मानना है कि 2000 साल पहले मगध साम्राज्य के समय में इस क्षेत्र में हीरे मिलते थे। कोटिल्य और वराहमिहिर ने भी अपने ग्रंथों में दक्षिण कौशल (वर्तमान पश्चिमी ओडिशा) को हीरों का स्रोत बताया है। रोमन इतिहासकार टॉलमी ने भी संबलपुर के हीरों का जिक्र किया है, जो महानदी के किनारे पाए जाते थे।

हीराकुड बांध का निर्माण और विस्थापन –

1945 में महानदी पर डैम की आधारशीला रखी गई और 1948 में इसका निर्माण शुरू हुआ। 1957 में यह बांध बनकर तैयार हुआ। बांध के निर्माण के चलते एक बड़ा इलाका पानी में डूबा, जिससे 22,000 परिवार विस्थापित हुए।

हालांकि, इस बांध के निर्माण से जुड़ी कई समस्याएं भी थीं। विस्थापित परिवारों को पुनर्वास और मुआवजा मिलने में कई दशकों का समय लगा। 2023 में भी कई परिवारों को मुआवजा नहीं मिला है।

नेहरू का एक बयान प्रसिद्ध है, जिसमें उन्होंने बड़े प्रोजेक्ट्स को आधुनिक भारत के मंदिर कहा था। लेकिन बाद के दिनों में बड़े प्रोजेक्ट्स के कारण होने वाले भ्रष्टाचार और लोगों के नुकसान को देखते हुए, उनके विचार बदले थे।

बड़े प्रोजेक्ट्स का महत्व अवश्य है, लेकिन यह भी जरूरी है कि इनसे गरीब लोगों के साथ अन्याय न हो।

 

Kalki Dr. Ambedkar और Shangri-La से Hirakund Dam का क्या रिलेशन है ?

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