Jagannath Temple – जगन्नाथ मंदिर का खजाना 46 साल बाद खुला ? खजाने मे ऐसा क्या था की मंदिर समिति के लोग देखते रह गए ?
जगन्नाथ मंदिर के खजाने का रहस्य और जनहित याचिका –
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में स्थित खजाने को लेकर कई वर्षों से बातें हो रही थीं। इस खजाने को सुरक्षित रखने के लिए एक जनहित याचिका भी दायर की गई थी। इस याचिका में इन आभूषणों की सुरक्षा और संरचनात्मक स्थिरता को लेकर चिंता जताई गई थी। 46 वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद, 14 जुलाई को इस खजाने के रहस्य को उजागर करने का आदेश आया।
खजाने का इतिहास –
खजाने की सूची 1805 में तैयार की गई थी, जिसमें 64 आभूषणों का विवरण था। 1952 में जब फिर से इसकी सूची बनाई गई, तो इसमें 180 स्वर्ण वस्तुएं, 150 आभूषण और 146 चांदी के सामान दर्ज किए गए। 1962 में 602 आभूषणों की जानकारी मिली, लेकिन 1967 में सत्यापन के बाद केवल 433 वस्तुएं प्रमाणित हुईं। अंतिम बार 1978 में इस खजाने को सूचीबद्ध किया गया था, जिसमें 454 सोने की वस्तुएं और 293 चांदी की वस्तुएं थीं। 2008 में उड़ीसा हाई कोर्ट के निर्देश पर संरचनात्मक निरीक्षण किया गया था, लेकिन आंतरिक कक्षों को नहीं खोला गया था।
जगन्नाथ मंदिर का इतिहास –
पुरी के जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में पूर्वी गंग राजवंश के राजा अनंत वर्मन चोड गंग द्वारा किया गया था। इस मंदिर को यम निका तीर्थ भी कहा जाता है, क्योंकि माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति से मृत्यु के देवता यम की शक्ति समाप्त हो गई थी। यह मंदिर भारत के चार धामों में से एक है और इसका विशेष महत्व है।
जगन्नाथ मंदिर की वास्तुकला की विशेषताएं –
पुरी का जगन्नाथ मंदिर नागर शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मंदिर एक ऊंचे मंच पर स्थित है और इसमें चार मुख्य घटक हैं: विमान या देऊल, जगमोहन, नट मंडप और भोग मंडप।
जगन्नाथ मंदिर की निर्मित शैलीय –
रेखा देउल शैली –
विमान या मुख्य मंदिर रेखा देउल शैली में बनाया गया है। इसमें गर्भगृह होता है, जहां मुख्य देवता की मूर्ति स्थापित होती है। इस शैली में शिखर ऊंचाई पर मिलते हैं और एक बिंदु पर समाप्त होते हैं।
पीढ़ा देउल शैली –
जगमोहन या मंडप पीढ़ा देउल शैली में बनाया गया है। यह सभा भवन के रूप में कार्य करता है। नट मंडप और भोग मंडप बाद में विकसित हुए हैं, जो दर्शक कक्ष और प्रसाद वितरण के लिए बनाए गए हैं।
जगन्नाथ मंदिर का अलंकरण –
मंदिर की बाहरी दीवारों पर अलंकरण किया गया है, जबकि आंतरिक दीवारें सादी होती हैं। छत को सहारा देने के लिए लोहे के गर्डर का उपयोग किया गया है। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार सिंह द्वार कहलाता है, और अन्य द्वारों में अश्व द्वार, व्याघ्र द्वार और हस्ती द्वार शामिल हैं।
पुरी का जगन्नाथ मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी स्थापत्य कला भी अद्वितीय है। इसके खजाने का रहस्य उजागर होने के बाद, इसके महत्व को और भी बल मिला है। यह मंदिर भारतीय संस्कृति और इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो वास्तुकला की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।