पेरिस ओलंपिक 2024 : क्या है इसका इतिहास, परंपराएं और इसमें भारत की भूमिका।

पेरिस, जो अपने ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है, अब 2024 में एक और ऐतिहासिक आयोजन का साक्षी बनने जा रहा है। पेरिस ओलंपिक 2024 का आयोजन 26 जुलाई से 11 अगस्त तक होगा, जिसमें दुनिया भर के बेहतरीन एथलीट अपने कौशल का प्रदर्शन करेंगे। इस आयोजन में पहली बार पुरुष और महिला खिलाड़ियों की संख्या बराबर होगी, जो खेल में लैंगिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

ओलंपिक का इतिहास और मशाल परंपरा  –

ओलंपिक खेलों की शुरुआत प्राचीन ग्रीस में हुई थी, जहाँ ये खेल ज्यूस देवता के सम्मान में आयोजित किए जाते थे। 776 ईसा पूर्व से शुरू होकर, इन खेलों का आयोजन हर चार साल में होता था और इनमें केवल पुरुष ही भाग ले सकते थे। आधुनिक ओलंपिक खेलों का पुनरुत्थान 19वीं सदी के अंत में पियरे डी कूबरटिन के प्रयासों से हुआ। उन्होंने 1894 में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना की, जिससे 1896 में पहले आधुनिक ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ।

ओलंपिक मशाल और मशाल रिले भी ओलंपिक खेलों की एक महत्वपूर्ण परंपरा है। मशाल रिले के दौरान मशाल को विभिन्न देशों और शहरों से होते हुए मेजबान शहर तक लाया जाता है, जो शांति और मित्रता का संदेश देती है। इस परंपरा की शुरुआत 1936 के बर्लिन ओलंपिक से हुई थी।

भारत का ओलंपिक सफर –

भारत ने अपने ओलंपिक सफर की शुरुआत 1900 के पेरिस ओलंपिक में की थी, जहाँ नॉर्मन प्रिचार्ड ने दो रजत पदक जीते थे। इसके बाद 1928 में भारतीय हॉकी टीम ने अपना पहला स्वर्ण पदक जीता, जिससे भारत हॉकी में एक प्रमुख शक्ति बन गया। इसके अलावा, 2008 में अभिनव बिंद्रा ने शूटिंग में भारत के लिए पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता।

पेरिस ओलंपिक 2024 की विशेषताएं –

पेरिस ओलंपिक 2024 कई विशेषताओं के साथ आ रहा है। पहली बार ब्रेक डांसिंग को ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया है। आयोजन के दौरान पर्यावरणीय स्थिरता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिसमें कार्बन फुटप्रिंट को न्यूनतम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। पेरिस ओलंपिक का शुभंकर “ओलंपिक फ्रीज” है, जो पारंपरिक छोटी फ्रिजियन टोपियों पर आधारित है।


ओलंपिक खेल सिर्फ प्रतिस्पर्धा नहीं हैं, बल्कि यह खेल परंपरा और टीम भावना का प्रतीक हैं। पेरिस ओलंपिक 2024 इस समृद्ध विरासत और समृद्ध खेल संस्कृति को एक नया आयाम देगा, जिसमें समानता और समावेशन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। खेल जगत की यह महान प्रतिस्पर्धा हमें सिखाती है कि खेल को जीतने से अधिक महत्वपूर्ण है, खेल को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के साथ खेलना।

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