Srikanth Bolla Biography – कौन है Srikanth Bolla ? जिसे कहा जाता है दुनिया का पहला ब्लाइन्ड बिजनसमेन
एक ऐसे बालक की कहानी जिसके पैदा होने पर रिश्तेदारों ने कहा कि इसे मार डालोयह किसी काम का नहीं है समाज ने हर तरफ उसका मनोबल गिराने की कोशिश की लेकिन लड़के ने कमाल कर दिखाया। 7 जुलाई 1991 को दामोदर राव और वेंकट मां के घर एक बच्चा पैदा होता है जिसके पैदा होते ही समाज के लोग आसपास के लोग कहते हैं कि यह तो अंधा है जन्म से अंधा होना तो पाप होता है यह तुम्हें जिंदगी भर दर्द देगा इसे मार डालो लेकिन माता-पिता किसी शुभ चिंतक की नहीं सुनते वो दौर था जब इनकी के माता-पिता सिर्फ ₹1000000 पहले नेत्रहीन बने जिन्हें 10th के बाद में साइंस पढ़ने की परमिशन मिली वो श्रीकांत जिन्होंने भेदभाव महसूस होने पर अपनी सरकार को कोर्ट में खड़ा कर दिया वो श्रीकांत जिन्होंने दिवंगत प्रेसिडेंट एपीजे अब्दुल कलाम साहब से वादा किया था कि मैं पहला विजुअली इंपेयर्ड प्रेसिडेंट बनूंगा बड़ी-बड़ी कंपनीज के ऑफर ठुकरा दिए और खुद भारत में आकर के अपनी कंपनी बना दी 10 मई को यह मूवी आ रही है श्रीकांत नाम की जो कि अ बहुत ही कमाल की मूवी लग रही है ट्रेलर बहुत लोगों ने पसंद किया है राजकुमार राव ने बेहतरीन जो है रोल प्ले किया है तो उसको आप देखिएगा लेकिन उनकी कहानी बहुत संक्षेप में आपको बताता हूं ।
Srikanth bolla Life Struggle
इनके माता-पिता चावल की खेती करते थे खेतों में इनको ले जाना शुरू कर दिया था लेकिन ये चाहकर भी हाथ नहीं बटा पाते थे उनको लगा कि बेटा खेत के काम तो आ नहीं पाएगा इसलिए इसको पढ़ाई में लगाते हैं सबसे करीबी स्कूल जो था वो 5 मील दूर था वहां तक जाने का कोई साधन नहीं था श्रीकांत पैदल-पैदल जाते थे लेकिन समस्या इस सफर के बाद आई जब वो स्कूल में पहुंचते थे तो उन्हें लास्ट बेंच पर पहुंचा दिया जाता था गेम्स पीरियड की घंटी बजती और सारी क्लास ग्राउंड में चली जाती श्रीकांत भी इसी उम्मीद से बाहर जाते थे कि कोई उनके साथ खेलेगा लेकिन हर बार निराश होते वो अपने इंटरव्यूज में बताते हैं कि कच्ची उम्र में उन्हें अकेलापन खाने लगा था और वो चाह कर के भी कुछ कर नहीं पा रहे थे जब माता-पिता को उनका हाल पता चला तो एक स्पेशल स्कूल में उनका दाखिला करवा दिया जब वह स्कूल में गए तो अपने घर से 250 किलोमीटर दूर आ चुके थे और घर वालों की याद उन्हें सताती थी किसी चीज में मन नहीं लगता था एक दिन उनको लगा कि स्कूल से भाग जाते हैं लेकिन वो पकड़े गए जब जिन रिश्तेदारों ने एडमिशन करवाया था उनके पास पहुंचे ये पता चला उनको कि भैया स्कूल में जो इस तरह का कारनामा कर रहा है तो उन्होंने बहुत प्यार से समझाया और कहा कि घर जाकर के तुम कैसा जीवन जिओगे वहां जीवन बदलने के लिए तुम्हें मेहनत करनी होगी उसके बाद इन्होंने जो है पढ़ने की सीखने की ठान ली सबसे पहले शुरुआत की ब्रेल से ब्रेल सीखने के बाद इंग्लिश उसके बाद क्रिएटिव राइटिंग डिबेट्स में पार्टिसिपेट करने लगे और सिर्फ पार्टिसिपेट नहीं करते थे बल्कि जीतते थे इन्होंने अपने इंटरेस्ट को सिर्फ शौकिया नहीं रखा इन्होंने चेस खेली ब्लाइंड क्रिकेट खेला दोनों में नेशनल लेवल तक पहुंचे और एक समय जो कि स्कूल से भागना चाहते थे वो क्लास के टॉपर बन गए। 2006 में जब ये 9 th में थे लीडइंडिया 2020 जो है प्रोग्राम शुरू किया था डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम साहब ने जहां यंगस्टर्स को मेंटर किया जा रहा था और उस कार्यक्रम में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम सारे बच्चों से बातचीत कर रहे थे और पूछ रहे थे Whats Your Life Goal तो उसमें इन्होंने भी श्रीकांत ने भी अपना जो है जवाब दिया इन्होंने कहा कि मैं देश का पहला विजुअली इंपेयर्ड प्रेसिडेंट बनना चाहता हूं जिस कॉन्फिडेंस से इन्होंने जवाब दिया डॉक्टर एपी ज अब्दुल कलाम ने इनकी तारीफ की थी बाद में इन्होंने कंप्यूटर सीखना शुरू किया 10th क्लास खत्म होने वाली थी तो क्या सब्जेक्ट चुनेंगे यह सवाल जो था इनके सामने था इन्होंने 10th में 90% स्कोर किया था और यह आगे की पढ़ाई के लिए साइंस लेना चाहते थे । स्कूल नहीं माना स्टेट बोर्ड का हवाला दिया कहा आप आर्ट्स ले लीजिए साइंस नहीं लेकिन उन्होंने कंप्रोमाइज नहीं किया उन्होंने कहा कि अब तो पढ़नी है तो साइंस ही पढ़नी है सारे ऑप्शंस बोर्ड ने जो इनको बता दिए और तब इन्हें लगा कि अब कुछ नहीं हो सकता तो ये कोर्ट में पहुंच गए छ महीनों तक कानूनी लड़ाई लड़ी और फाइनली गवर्नमेंट ऑर्डर आता है जिसमें लिखा था कि आप साइंस सब्जेक्ट ले सकते हैं लेकिन अपनी रिस्क पर रिस्क से इश्क करने वाले श्रीकांत बोला ने अपनी मेहनत अब डबल कर दी थी क्योंकि उनके सामने
सबसे बड़ा चैलेंज था यह वो समय था जब देश में स्टेट बोर्ड की बात करूं तो विजुअली चैलेंज स्टूडेंट्स के लिए साइंस पढ़ने की सुविधा नहीं थी ऐसे में श्रीकांत ने सारी बुक्स को ऑडियो बुक्स में कन्वर्ट करवाया और पढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी उसका रिजल्ट ये रहा कि जब यह पास हुए तो 98 % मार्क्स इन्होंने स्कोर किए श्रीकांत bolla के सामने अब चैलेंज बहुत बड़ा था इनकी कहानी में एक ऐसा ट्विस्ट आने वाला था जो इनको भी नहीं पता था।
सबसे बड़ा चैलेंज था यह वो समय था जब देश में स्टेट बोर्ड की बात करूं तो विजुअली चैलेंज स्टूडेंट्स के लिए साइंस पढ़ने की सुविधा नहीं थी ऐसे में श्रीकांत ने सारी बुक्स को ऑडियो बुक्स में कन्वर्ट करवाया और पढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी उसका रिजल्ट ये रहा कि जब यह पास हुए तो 98 % मार्क्स इन्होंने स्कोर किए श्रीकांत bolla के सामने अब चैलेंज बहुत बड़ा था इनकी कहानी में एक ऐसा ट्विस्ट आने वाला था जो इनको भी नहीं पता था।
BOLLANT INDRASTRIES LIMITED
इन्होंने देश के बड़े-बड़े इंजीनियरिंग कॉलेजेस के फॉर्म भरे आईआईटी बिट्स लेकिन जवाब कहीं से भी नहीं आया सब में बस एक रिप्लाई आता था एक चिट्ठी आती थी जिसमें लिखा था कि क्योंकि आप देख नहीं सकते इसलिए आपको कॉम्पिटेटिव एग्जाम में बैठने नहीं दिया जा सकता इनको बहुत बुरा लगा लेकिन हताश नहीं हुए इन्होंने सोचा कि आईआईटी मुझे नहीं चाहती तो मुझे भी आईआईटी नहीं चाहिए इंटरनेट पर उन्होंने बहुत सारे ऑप्शंस खोजे बहुत सारे विकल्प खोजे और ऐसे ऑप्शन ढूंढे जहां इनके जैसे बच्चों की पढ़ने की सुविधा हो अमेरिका के कॉलेजेस के बारे में इन्हें पता चला वहां के MIT यानी कि मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने इन्ह स्कॉलरशिप ऑफर की और ये मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी का जो इतिहास था उसके पहले इंटरनेशनल ब्लाइंड स्टूडेंट बन गए इन्होंने चाहे पढ़ाई अमेरिका से की लेकिन बदला इन्होंने भारत को जब ये वहां पढ़ाई कर रहे थे तो टॉप करते चले जा रहे थे। इनके पास में बड़े-बड़े जॉब ऑफर्स आए थे और सब लोगों को लगा था कि अब तो ये वहीं रहेंगे वापस शायद ही भारत आएं लेकिन ये कहते हैं कि कब तक एक डिसेबल्ड बच्चे को जो है क्लास की आखिरी सीट के लायक समझा जाएगा भारत की 10% आबादी जो कि डिसेबल्ड है वो क्यों उसकी इकॉनमी में कंट्रीब्यूट नहीं कर सकती इसका जवाब मैंने खुद ढूंढा और मुझे लगा कि जब मैं लोकेशन का फर्क जो है उसे मिटा दूंगा तो विजुअली चैलेंज्ड बच्चे भी कमाल करेंगे इन्होंने उन बच्चों के लिए कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर खोला पैसे जुटाए एक बिल्डिंग इन्होंने किराए पर ले ली पांच कंप्यूटर खरीद लिए एक जो है सदस्य वहां पर रख लिया कंप्यूटर की कक्षाएं चालू कर दी बच्चों को स्किल देना शुरू कर दिया लेकिन सबसे बड़ा जो सवाल था वो ये था कि जॉब कैसे मिलेगी तो फिर इन्होंने जो है कुछ लाख रुपए जमा किए कुछ फंडिंग की BOLLANT इंडस्ट्रीज लिमिटेड नाम की एक कंपनी खोली जो कि इको फ्रेंडली डिस्पोजेबल प्रोडक्ट बनाती थी और पूरी तरीके से रिसाइकल किए गए कागज से बनते थे ये हमेशा हमेशा से सोचते थे कि जीवन में कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे लोगों को जॉब मिले और इसके लिए इन्होंने वो जो छोटी सी कंपनी की शुरुआत की थी जिसमें लोगों के खाने पीने के सामान की पैकिंग के लिए कंज्यूमर फूड पैकेजिंग ये कंपनी थी शुरुआत में सिर्फ अपने आसपास के बेरोजगार लोगों के साथ कंपनी की शुरुआत की थी और अब जो है ये कंपनी कंज्यूमर फूड पैकेजिंग प्रिंटिंग इंक और ग्लू का बिजनेस कर रही है आज इनके हैदराबाद और तेलंगाना में पांच प्लांट हैं जिसमें इनके जैसे जो हैं सैकड़ों लोग काम कर रहे हैं और छठा प्लांट जो है आंध्र प्रदेश के नेलोर के पास में श्री सिटी में इनका बन रहा है इनकी कंपनी आने वाले समय में 8000 से ज्यादा लोगों को जॉब देनेवाली है इनकी कंपनी में फिलहाल 4000 लोग जो है काम कर रहे हैं और खास बात यह है कि इनकी कंपनी में 70% जो लोग हैं वो स्पेशली जो है एबल्ड है कहने का मतलब यह है कि अपनी सक्सेस के बारे में सिर्फ श्रीकांत जो अपने इंटरव्यूज में कहते हैं कि जब दुनिया कहती थी कि ये कुछ नहीं कर सकता तब भी मैं यही कहता था कि मैं सब कुछ कर सकता हूं इनका जो ड्रीम है उसे पूरा करने में इनकी मदद की है इनकी टीचर स्वर्ण लता जी ने बुलान का जो 70% वर्कफोर्स है जैसा बता रहा था कि डिसेबल्ड जो एंप्लॉयज हैं स्पेशली एबल जो एंप्लॉयज हैं उनसे मिलकर बना है उन्हें ट्रेन करने का काम उनकी जो टीचर रही स्वर्ण लता जी वो करती हैं और इन्होंने अपने काम से बड़ी-बड़ी शख्सियतों को प्रभावित किया जिसमें रतन टाटा साहब का भी नाम है।
BOLLANT INDRASTRIES Networth
इनकी कंपनी 2018 की एनुअल रिपोर्ट के मुताबिक 150 करोड़ का टर्नओवर कर चुकी है श्रीकांत बोला का जो है कॉम्प्रोमाइज नहीं करने वाला जो स्वभाव है और जो इनका सेंस ऑफ ह्यूमर है जिसके चलते खुद को दया का पात्र नहीं बनाते हैं बल्कि उस पर हंस कर के आगे बढ़ जाते हैं अब वही इन्हें स्पेशल बनाता है जो मूवी आ रही है श्रीकांत उसके ट्रेलर में भी एक डायलॉग है जिसमें इनके साथ जो बैठे होते हैं उनसे कहते हैं कि आप जो बाहर खड़ा है लड़का उसको भीख में रुपए मत दो उसको हम जॉब देंगे पैसा देना है तो मुझे दे दो ये अपनी बातों से सेंस ऑफ ह्यूमर से जो है लोगों के दिल जीतते आए हैं और आज इनकी कहानी देश भर में पहुंचने के लिए तैयार है 10 मई को ये मूवी जिसमें राजकुमार राव जो है इनका रोल प्ले कर रहे हैं देखना होगा कि कितनी लोगों को पसंद आती है लेकिन इनकी कहानी ने मुझे इंस्पायर किया इसीलिए मैंने इनकी कहानी आज आपके साथ शेयर की उम्मीद है कि आपकी लाइफ में अगर कोई लो मूमेंट चल रहा है लो फेस चल रहा है तो आप उसको हाई की तरफ लेकर जाएंगे जीवन में कमाल करके दिखाएंगे कर दिखाओ को जैसा कि दुनिया करना चाहे आपके।